Daily Shah Alert 02 April 2025
नई दिल्ली, 1 अप्रैल 2025 – मोदी सरकार 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश करने जा रही है। सरकार ने इस बिल को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। इससे पहले यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से पास हो चुका है और कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि, संसद में इसे पास कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा, खासकर राज्यसभा में जहां विपक्ष के विरोध की संभावना जताई जा रही है।
लोकसभा में सरकार की स्थिति लोकसभा में कुल 542 सांसद हैं। बहुमत के लिए 272 सांसदों का समर्थन जरूरी है। बीजेपी के पास 240 सांसद हैं और अगर सहयोगी दलों को भी जोड़ लिया जाए तो NDA की संख्या 294 तक पहुंच जाती है। इस स्थिति में बीजेपी के लिए लोकसभा में इस बिल को पास कराना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा। वहीं, विपक्षी दलों की बात करें तो कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं और INDIA गठबंधन के कुल 233 सांसद हैं। लोकसभा में कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, जिनमें आजाद समाज पार्टी के एडवोकेट चंद्रशेखर और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल शामिल हैं।
राज्यसभा में समीकरण क्या हैं? राज्यसभा में स्थिति थोड़ी अलग है। यहां कुल 236 सदस्य हैं, जिनमें बीजेपी के पास 98 सांसद हैं। NDA की कुल संख्या 115 है और अगर 6 मनोनीत सांसदों को भी जोड़ दें तो यह 121 तक पहुंच जाती है। राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी, जिसका मतलब है कि सरकार के पास बहुमत से 2 सदस्य अधिक हैं। वहीं, INDIA गठबंधन के पास 85 सांसद हैं, जिसमें वाईएसआर कांग्रेस के 9, बीजेडी के 7, और एआईएडीएमके के 4 सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा, 3 सांसद ऐसे हैं जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।
विपक्ष की आपत्तियां इस बिल को लेकर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम माना जाता था, लेकिन इस नए बिल में किसी भी संपत्ति विवाद में हाईकोर्ट में अपील करने का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा, पहले वक्फ बोर्ड केवल दावे के आधार पर किसी संपत्ति पर अधिकार जता सकता था, लेकिन अब यह संभव नहीं होगा जब तक कि संपत्ति को दान न किया गया हो। नए बिल में कलेक्टर को संपत्ति का सर्वे करने और उसे वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार भी दिया गया है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्मों से भी दो सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जो पहले नहीं था। विपक्ष का कहना है कि यह बदलाव वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को प्रभावित कर सकते हैं।
क्या सरकार के लिए यह चुनौती बनेगा? लोकसभा में बीजेपी को अपने सहयोगी दलों का समर्थन लगभग तय माना जा रहा है, जिससे वहां बिल आसानी से पास हो सकता है। लेकिन राज्यसभा में समीकरण थोड़े पेचीदा हैं। विपक्षी दल पूरी ताकत से बिल का विरोध करने की तैयारी में हैं, जिससे सरकार को निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन पर निर्भर रहना पड़ सकता है।
अब सबकी नजरें 2 अप्रैल को लोकसभा की कार्यवाही पर टिकी हैं कि वहां बिल कितनी आसानी से पास होता है और उसके बाद राज्यसभा में इसे लेकर सरकार क्या रणनीति अपनाती है।
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Daily Shah Alert 31 March 2025
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नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हिंदू संगठनों ने इस विधेयक के समर्थन में महापंचायत आयोजित की और वक्फ बोर्ड को पूरी तरह खत्म करने की मांग उठाई। इसी दौरान स्वामी दीपांकर ने बड़ा बयान देते हुए सवाल किया, “यदि देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों है?”
हिंदू संगठनों ने किया विरोध महापंचायत में शामिल हुए हिंदू संगठनों ने अपने बैनरों पर लिखा – “सभी समान हैं तो वक्फ क्यों?” इस दौरान स्वामी दीपांकर ने कहा,”अगर देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड असंवैधानिक है। इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन किया है, जो सही दिशा में एक कदम है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करने की जरूरत है।”
विपक्ष ने जताया विरोध लोकसभा में लंबित वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला बताया। ओवैसी का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल कर इसके प्रशासन में हस्तक्षेप करने का प्रयास है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 26 और 225 का उल्लंघन करता है।
ओवैसी ने केंद्र पर लगाया आरोप.ओवैसी ने कहा, “जब दूसरे धर्मों के बोर्ड में सिर्फ उसी धर्म के लोग सदस्य होते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को क्यों जोड़ा जा रहा है? यह बिल वक्फ की सुरक्षा या अतिक्रमण हटाने के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिमों को उनकी धार्मिक प्रथाओं से दूर करने की साजिश है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा और आरएसएस इस विधेयक के जरिए मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों को निशाना बना सकते हैं।
क्या कहती है सरकार?सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड के नियमों में संशोधन आवश्यक था ताकि पारदर्शिता बनी रहे और अवैध कब्जों को रोका जा सके। हालांकि, इस मुद्दे पर देश में राजनीति गरमाती जा रही है।
क्या वक्फ बोर्ड को खत्म किया जाना चाहिए या नहीं? यह बहस अब और तेज हो गई है।
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बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक 36 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी और उसके शव को सूटकेस में भरकर पूरी रात उससे बात करता रहा। पुलिस ने इस मामले में मानसिक विकृतियों की आशंका जताई है, लेकिन शुरुआती जांच में इसे एक सोची-समझी साजिश बताया जा रहा है।
हत्या का दर्दनाक घटना क्रम मुंबई निवासी आरोपी राकेश राजेंद्र खेडेकर ने अपनी 32 वर्षीय पत्नी गौरी अनिल सांबरेकर की हत्या कर दी। आरोपी ने पहले उसे थप्पड़ मारे, फिर चाकू से वार किया और अंत में उसे जिंदा ही सूटकेस में भरने की कोशिश की। जब सूटकेस का हैंडल टूट गया, तो उसने इसे बाथरूम में रख दिया, जिससे खून बहता रहे।
पहले से रची गई थी हत्या की साजिश? पुलिस अधिकारियों का मानना है कि राकेश मानसिक रूप से अस्थिर होने का नाटक कर रहा है। उन्हें शक है कि उसने गौरी को मारने के लिए पहले से ही योजना बनाई थी और इसी उद्देश्य से उसे बेंगलुरु लेकर आया था। दोनों पति-पत्नी एक महीने पहले ही मुंबई से बेंगलुरु आए थे और अलग-अलग कंपनियों में नौकरी कर रहे थे। राकेश को वर्क-फ्रॉम-होम की नौकरी मिल गई थी, जबकि गौरी नई नौकरी की तलाश कर रही थी।
हत्या की रात क्या हुआ? बुधवार रात गौरी ने चावल और ग्रेवी बनाई थी। रात करीब 9 बजे किसी बात पर दोनों में झगड़ा हुआ। राकेश ने गौरी को थप्पड़ मारा, जिसके जवाब में गौरी ने किचन से चाकू उठाकर राकेश की ओर फेंका, जिससे उसे मामूली चोट लगी। गुस्से में आकर राकेश ने वही चाकू उठाया और गौरी पर तीन बार वार किया। पुलिस के अनुसार, गौरी ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन राकेश ने उसे दबोच लिया और जब वह बेहोश हो गई, तो उसे सूटकेस में ठूंस दिया। फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, गौरी की मौत संभवतः सूटकेस के अंदर ही दम घुटने से हुई।
घटनास्थल से फरार होने की कोशिश हत्या के बाद राकेश ने सबूत मिटाने की कोशिश की और फिर सूटकेस को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। जब सूटकेस का हैंडल टूट गया, तो उसने इसे बाथरूम में रख दिया और रातभर शव के पास बैठा रहा। बाद में, वह घर बंद कर अपनी कार से भाग निकला।
गौरी के भाई को खुद दी हत्या की जानकारीभागते समय राकेश ने पुणे के रास्ते में अपनी पत्नी के भाई गणेश अनिल सांबरेकर को फोन कर बताया कि उसने गौरी को मार डाला है। इसके बाद उसने फोन बंद कर दिया। गणेश ने महाराष्ट्र पुलिस को सूचना दी, जिन्होंने बेंगलुरु पुलिस को अलर्ट कर दिया।
झूठी कहानी और आत्महत्या की कोशिश राकेश ने एक पड़ोसी को फोन कर झूठ बोला कि उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली है और उसने पुलिस को बुलाने को कहा। पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो वहां कोई शव फांसी पर लटका नहीं मिला, बल्कि एक सूटकेस में गौरी की लाश थी। फरार होते समय, राकेश ने आत्महत्या का नाटक करते हुए कॉकरोच मारने की दवा पी ली, लेकिन एक राहगीर ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया। फिलहाल वह खतरे से बाहर है और पुलिस की हिरासत में है।
लिव-इन रिलेशनशिप से शादी तक का सफर गौरी और राकेश चार साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और दो साल पहले परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली थी। राकेश, गौरी के मामा का बेटा था, इसलिए यह रिश्ता उनके परिवारों को मंजूर नहीं था।
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मुजफ्फरनगर, 30 अप्रैल 2025: M.F. Taleemi Idara, नाज़ कॉलोनी, मिमलाना रोड में वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए। इस वर्ष रुखसार ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए विद्यालय में सर्वोच्च श्रेणी हासिल की, जिससे उसका नाम स्कूल के टॉपर्स की सूची में दर्ज हो गया।

इसके अलावा, खुशी, हसीन, महक, अकदस, मायरा, अरमान, अलतमिश, अरमान, उवेश, दानिश, शाजिया, सानिया, इलमा और खुशाल ने अपनी-अपनी कक्षाओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किए।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने इन होनहार छात्रों को सम्मानित किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। परीक्षा परिणामों की घोषणा के साथ ही विद्यालय में हर्ष और उत्साह का माहौल देखने को मिला।
(रिपोर्ट: MS Nara Rajput, Shah Alert)
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मुजफ्फरनगर: जिले का नाम बदलने की मांग अब एक कदम और आगे बढ़ गई है। जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर करने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी गई। साथ ही, 25 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों को भी मंजूरी दी गई है।
बैठक में उठे अहम मुद्दे जिला पंचायत सभागार में आयोजित इस बैठक में कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, बिजनौर लोकसभा सांसद चंदन चौहान, बुढ़ाना विधायक राजपाल बालियान, और सपा नेता राकेश शर्मा समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि बैठक में लिए गए फैसलों का सीधा लाभ जनता को मिलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मेरठ एसपी के सड़क पर नमाज पढ़ने पर पासपोर्ट और लाइसेंस निरस्त करने वाले बयान से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, यह प्रशासन का व्यक्तिगत बयान है।
नाम बदलने पर बंटे रहे विचार बिजनौर सांसद चंदन चौहान ने कहा कि मुजफ्फरनगर का नाम बदलने को लेकर अलग-अलग राय हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि “विकास जरूरी है, नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।”
विकास कार्यों को मंजूरी जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाण ने बताया कि 25 करोड़ की लागत से सभी वार्डों में विकास कार्य होंगे। इन प्रस्तावों पर सर्वसम्मति से सहमति जताई गई है।
विधायक ने जताई नाराजगी बुढ़ाना विधायक राजपाल बालियान ने बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “अगली बार अधिकारी खुद मौजूद रहें, ताकि समस्याओं का समाधान तुरंत हो सके।”
क्या मुजफ्फरनगर अब लक्ष्मीनगर बनेगा? अब सवाल उठता है कि क्या मुजफ्फरनगर का नाम आधिकारिक रूप से लक्ष्मीनगर रखा जाएगा? इस प्रस्ताव पर आगे सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, इस पर राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ गई है।
आपकी राय क्या है? क्या नाम बदलने से जिले का विकास होगा या यह सिर्फ राजनीति है?
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हापुड़ में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान योगी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि नवरात्र के पूरे 9 दिनों तक मीट की दुकानें बंद रखी जाएं। मंत्री ने एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह से मंच पर ही कहा कि वह इस आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई दुकानदार इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए
सपा का पलटवार: “संविधान चलेगा या फरमान?”
मंत्री के इस बयान पर समाजवादी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सपा प्रवक्ता दीपक रंजन ने सवाल उठाते हुए कहा, “देश संविधान से चलेगा या फिर किसी मंत्री के आदेश से? अगर नवरात्र में मीट की दुकानें बंद हो सकती हैं, तो रमज़ान के दौरान शराब की दुकानें क्यों नहीं बंद की जातीं?”
क्या धार्मिक तुष्टिकरण हो रहा है?
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर बहस छिड़ गई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है। कुछ संगठनों का कहना है कि अगर सरकार धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहती है तो सभी समुदायों के त्योहारों पर समान प्रतिबंध लगाने चाहिए
क्या यह आस्था का मामला है या राजनीति का?
यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक आयोजनों को लेकर सरकार के फैसले विवादों में आए हैं। सवाल यह है कि क्या यह फैसला सिर्फ धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए है, या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति छिपी है?आपका क्या मानना है—क्या नवरात्र में मीट की दुकानों को बंद करवाना उचित है, या फिर यह सरकार की मनमानी है?
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Daily Shah Alert 29 March 2025
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भोपाल: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ मुस्लिम समाज का विरोध तेज हो गया है। रमजान के आखिरी जुमे पर देशभर के कई शहरों में मुस्लिमों ने काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की। भोपाल के अरबाज मिर्जा भी बांह पर काली पट्टी बांधकर मस्जिद पहुंचे, जहां उन्होंने बिल को गलत बताते हुए विरोध जताया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील पर भोपाल और नर्मदापुरम समेत कई शहरों में इस तरह का अनोखा प्रदर्शन देखा गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों के अधिकार छीनकर मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहती है।
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का पलटवार – “गरीब मुसलमानों का सोचना गलत कैसे?”

इस विरोध पर हुजूर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा,”वक्फ की जमीन से सिर्फ कुछ खास परिवारों को फायदा नहीं मिलना चाहिए। करोड़ों मुसलमान आज भी पंक्चर बना रहे हैं, कबाड़ बेच रहे हैं, ठेले लगा रहे हैं। मोदी जी ने गरीब मुसलमानों के लिए कुछ सोचा, तो इसमें गलत क्या है?”
शर्मा ने विरोध करने वालों पर तंज कसते हुए कहा,”जिनके पेट में दर्द है, उन्हें हाजमा की गोली दी जाएगी। मुसलमानों की ईद आ रही है, मीठा खाइए, मीठा बोलिए और दूसरों के भविष्य के लिए मीठा सोचिए।”
मुस्लिम समाज का पलटवार – “हमारे धार्मिक अधिकारों में दखल बर्दाश्त नहीं”
विवाद के पीछे की असली वजह क्या है? वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों का अधिकार अपने हाथ में लेने की तैयारी कर रही है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, जबकि सरकार इसे गरीब मुसलमानों के उत्थान के लिए जरूरी सुधार बता रही है