मुजफ्फरनगर। श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में छात्र/छात्राओं को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने और वर्तमान परिदश्ृय के अनुरूप उनका ज्ञान वर्धन कराने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष समय-समय पर अनेक कार्यशालाओं का आयोजन होता रहा है।
इसी क्रम कों आगें बढाते हुए ललित कला विभाग में चार दिवसीय कार्यशाला का समापन महाविद्यालय परिसर में किया गया।
जिसका विषय फैशन कम्यूनिकेशन एवं कैम्पनिंग रहा। इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता यश गौतम रहे। जिन्होंने निफ्ट से फैशन कम्यूनिकेशन में अपना अध्ययन पूर्ण किया। जिसके बाद वे स्वतंत्र रूप से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।
कार्यशाला के चौथे दिन का शुभारम्भ ललित कला विभाग के निदेशक डॉ0 मनोज धीमान एवं सभी प्रवक्ताओं द्वारा मुख्य वक्ता यश गौतम का संयुक्त रूप से स्वागत कर किया गया।
कार्यशाला के प्रथम एवं द्वितीय दिवस म ें मुख्य वक्ता यश गौतम ने विद्यार्थियों को फैशन संचार के बारे में बताते हुए कहा कि फैशन संचार एक ऐसा डोमेन है जो फैशन और जीवन शैली के संचार से जुड़ा है।
यह संचार डिजाईन, फैशन लेवल के लिए ब्रांडिंग, जनसम्पर्क, फैशन पत्रकारिता, विज्ञापन, स्टाईलिंग या विजुअल मर्चेन्डाईजिंग और कला निर्देशन जैसे विभिन्न रूप ले सकता है।
फैशन केवल कपड़े और सहायक उपकरण के डिजाईन और निर्माण के बारे में नहीं बल्कि कार्य के अन्य सहयोगी क्षेत्रों के पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करता है।
जो फैशन डिजाईन के अभ्यास को सफल बनाता है। फैशन संचार एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत में अपेक्षाकृत नया है और अपने पैर जमा रहा है।
भारत में फैशन संचार फैशन और जीवनश्शैली व्यवसाय के काम-काज का समर्थन करता है।
फैशन संचार में फोटोग्राफी, स्टाईलिंग, ग्राफिक डिजाईन और कला निर्देशन फैशन पत्रकारिता में नए मीडिया प्लेटफार्मो की खोज के साथ-साथ डिजिटल एवं प्रिंट प्रकाशन भी शामिल है।
क्योंकि दुनिया हर दिन नये फैशन ब्राण्ड और व्यवसाय के उद्भव को देख रही है, यह फैशन संचार ही है।
इसी प्रकार उन्होंने फैशन संचार में कैरियर बनाने के लिए उभरते क्षेत्र के बारे में विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि एक फैशन कम्यूनिकेशन एक्सपर्ट को कई कार्य करने होते हैं।
वह अपने क्लाइंट या कम्पनी की एक बेहतरीन छवि बनाता है। साथ ही वह अपने क्लाइंट के उत्पाद को टारगेट कस्टमर तक सर्वोत्तम तरीके से पहुँचाता है।
इतना ही नहीं वह ब्राण्ड के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार के तरीकों पर भी नजर रखता है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि जब भी फैशन इंडस्ट्री की बात होती है तो लोग फैशन डिजाईनर या मॉडल बनने की ही चाहत रखते हैं।
लेकिन यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जिसमें पिछले काफी वर्षों में बदलाव आया है और इसी कारण अब इस क्षे़त्र में कैरियर की नई सम्भावनाओं को जन्म दिया है। फैशन इंडस्ट्री में एक ऐसा ही कैरियर है ‘फैशनकम्यूनिकेशन‘।
यह एक तेजी से उभरता क्षेत्र है और अब युवाओं का आकर्षण इस ओर बढने लगा है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि इस क्षेत्र के लिए स्कील्स कैसी होनी चाहिए?
इस पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इस क्षेत्र में आपकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी अच्छी होनी चाहिए साथ ही आपमें कम्यूनिकेशन व नेटवर्किंग स्कील्स भी बेहतरीन होनी चाहिए।
इसके बिना आपको अपने क्षेत्र में कठिन संघर्ष करना पड सकता है और कई-कई घंटे लगातार काम करना पड सकता है। इसलिए आपमें धैर्य व कठिन परिश्रम करने की क्षमता होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त आपकी मौखिक व लिखित दोनों ही रूपों में अलग-अलग भाषाओं पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। यदि विद्यार्थियों में यह स्किल्स है तो इस क्षेत्र में विद्यार्थी सालाना 2 से 3 लाख रूपये आसानी से कमा सकते है।
कार्यशाला के तृतीय और चतुर्थ दिवस में मुख्य वक्ता यश गौतम ने विज्ञापन योजना के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंनंे कहा कि एक सफल प्रचार कार्यक्रम के लिए आवश्यक है कि वह एक स्पष्ट विज्ञापन योजना पर आधारित हो।
जब तक हमारा उद्देश्य स्पष्ट नहीं होगा तब तक प्रचार करना लाभकारी सिद्ध नहीं होगा और जब उद्देश्य स्पष्ट होगा तभी हम सर्वोत्तम मार्ग अपना सकेंगे। इसके अभाव में हम गलत समय पर अनुपयुक्त प्रचार माध्यमों का उपयोग कर व्यय की गई राशि का पूर्ण लाभ नहीं उठा सकेंगे।
उन्होनंे कैम्पेन को बडी ही सरल भाषा में विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंनंे बताया कि कैम्पेन शब्द वास्तव में फौजी व्यवस्था में युद्ध से लिया गया है जो लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योजनाबद्ध तरीके से की गई व्यूह रचना या अभियान है।
विज्ञापन में भी कैम्पेन निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए की गई कोशिश होती है। जिस प्रकार युद्ध के समय सेनानायक युद्ध जीतने के लिए व्यूह रचना बनाता है, जिसमें सेना के तीनों अंगो को शामिल किया जाता है उसी प्रकार विज्ञापन व्यूह रचना को भी बिक्री का युद्ध कहा जाता है।
जिसे जीतने के लिए उसी प्रकार सभी सम्भावित माध्यमों द्वारा विज्ञापन प्रसारित करके लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
इस प्रकार किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक संगठित इकाई के रूप में की गई कोशिश ही विज्ञापन योजना है। उन्होंने विद्यार्थियो को यह भी बताया कि विज्ञापन योजना के लिए बाजार की स्थिति कैसी है?
उत्पाद का सम्भावित उपभोक्ता कौन और कहां है, विज्ञापन योजना की सफलता के लिए लक्ष्य क्या हो, माध्यम नीति कैसी हो, इन प्रश्नों के उत्तर बिना मिले विज्ञापन योजना सम्भव नहीं है।
इसी क्रम में उन्होनंे विज्ञापन योजना के महत्व को समझाते हुए कहा कि विज्ञापन योजना के प्रसारण के समय यह भी देखा जाता है कि विज्ञापन योजना पर जितनी पूंजी व्यय की गई है उसके बदले निर्माता को क्या परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
यदि अच्छे परिणाम प्राप्त होते है तो यह विज्ञापन योजना की सफलता मानी जाती है। तत्पश्चात उन्होंने फैशनडिजाईन एवं एप्लाईड पर प्रकाश डालते हुए ग्राफिक्स डिजाईनिंग, मर्चेन्डाईजिंग, आईकोनोग्राफी, टाईपोग्राफी, यू0आई0/यू0एक्स, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी, पोर्टफोलियो एवं सी0वी0, कम्पनियों के ब्राण्ड, लोगो, प्रोडक्ट डिजाईनिंग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
कार्यशाला के अन्त में ललित कला विभाग के निदेशक डॉ0 मनोज धीमान, विभागाध्यक्षा मीनाक्षी काकरान ने मुख्य वक्ता यश गौतम को श्रीराम कॉलेज का प्रतीक चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे इसी प्रकार ललित कला विभाग के विद्यार्थियों का समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहें।
इस कार्यशाला के आयोजन में ललित कला विभाग के प्रवक्ता रजनीकान्त, बिन्नू पुण्ड़ीर, अनु, मीनाक्षी काकरान, रीना त्यागी, मयंक सैनी, अजीत कुमार एवं शिवा का विषेष योगदान रहा।