नई दिल्ली । भारत में प्रति दिन 4320 बाल विवाह होते हैं लेकिन इनमें से केवल तीन को ही पुलिस थाने में दर्ज किया जाता है।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के हाल में जारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में बाल विवाह के मामले दर्ज होने की संख्या पांच फीसदी घटी है। देश में वर्ष 2021 में बाल विवाह के 1050 मामले दर्ज किए थे जबकि वर्ष 2022 में 1002 मामले ही दर्ज किए गए।आंकड़ों के अनुसार देश में रोजाना 4320 बाल विवाह होते हैं जबकि मामले सिर्फ तीन दर्ज होते हैं।संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार देश में हर साल 15 लाख से ज्यादा लड़कियों की शादी 18 साल की होने से पहले हो जाती है। इसका मतलब यह है कि देश में हर मिनट तीन बाल विवाह हो रहे हैं।बाल विवाह की जमीनी हकीकत और मामले दर्ज होने में भारी अंतर पर चिंता जताते हुए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि ये आंकड़े बता रहे हैं कि बाल विवाह की सूचना अनिवार्य करने के साथ अपराधियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। बाल विवाह को एक सामान्य घटना के बजाय अपराध के तौर पर देखना होगा। इससे भी कहीं ज्यादा समस्या से निपटने के लिए समाज और न्यायिक तंत्र का लक्ष्य निरोधक कानूनी उपायों के जरिए लोगों में सजा का भय पैदा कर उन्हें बाल विवाह के प्रति हतोत्साहित करने का होना चाहिए।देश को वर्ष 2030 तक बाल विवाह से मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ 160 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन से महिलाओं की अगुआई में देश के 300 जिलों में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-21) के अनुसार भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.5 फीसदी है और देश के 257 जिलों में बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।