मथुरा । उत्तर प्रदेश के चीनी मिल एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने कहा कि नई चीनी मिलों में डिस्टिलरी लगाने से इसका लाभ चीनी मिलों के साथ साथ गन्ना किसानों को हो रहा है।
चौधरी ने शनिवार शाम पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नई चीनी मिलों में डिस्टिलरी लगायी जा रही हैं तथा पुरानी चीनी मिलों को डिस्टिलरी लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। चीनी मिल में डिस्टिलरी लगाने से जहां मिल की आमदनी बढ़ती है वहीं किसान को भी उसकी गन्ने की फसल का अधिक लाभ मिलता है।
उन्होंने बताया कि बिजनौर में जो नई चीनी मिल लगी है उसकी क्षमता एक लाख 10 हजार कुंटल प्रतिदिन पेराई की हो रही है। शाकुम्बरी चीनी मिल तथा सहारनपुर में लगी दो चीनी मिलों में भी गन्ने की पेराई बड़े पैमाने पर हो रही है।लगातार मिले बढ़ंती जा रही हैं तथा गन्ने का उत्पादन बढ़ता जा रहा है।इसलिए गन्ने की फसल के लिए किसान का रूझान बढ़ा है।
चीनी मिल के साथ डिस्टिलरी लगाने का लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि एथेनोल को डीजल एवं पेट्रोल में प्रयोग किया जा रहा है। एथेनाल को सरकार और कम्पनियां ही खरीदती हैं इसलिए तुरन्त उसका भुगतान होता है जिससे किसान का भुगतान जल्दी हो जाता है । दूसरा फायदा यह होता है कि जहां कम रिकवरी होती है वहीं एथेनाल से अच्छी रिकवरी बन जाती है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से एथेनाल की स्कीम निकाली जिसमें पहले आठ प्रतिशत फिर दस प्रतिशत एव वर्तमान में 12 प्रतिशत एथेनाल की स्वीकृति है तब से किसान काक फायदा होने लगा है। जैसे जैसे एथेनाल की भागीदारी बढ़ती जाएगी वैसे वैसे किसान एवं मिल स्वामियों का फायदा बढ़ता जाएगा। एथेनाल और डिस्टिलरी से चीनी मिल मालिकों को तथा किसान को बहुत फायदा हुआ है। किसान का भुगतान भी समय से हो रहा है। पिछले साल पांच डिस्टिलरी लगाई गई है।
उन्होने कहा कि बसपा के शासनकाल में 19 चीनी मिलें बेची गईं जबकि सपा के कार्यकाल में 11 चीनी मिले बन्द हुई। उस समय गन्ने का भाव सस्ता था,इसके बावजूद उसका भुगतान नही होता था। 2017 से जब से योगी सरकार आई है तब से आठ चीनी मिलें लग गई हैं और पुरानी जो बन्द पड़ी थी उन्हें भी चलवाया गया है। समय से गन्ने का भुगतान और गन्ने का भाव अधिक होने के कारण किसान को फायदा हो रहा है, इसलिए चीनी मिल अब बन्द नही हो रही है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि इस समय भारत में सबसे अधिक गन्ने और चीनी का उत्पादन एवं सर्वाधिक रिकवरी उत्तर प्रदेश में हो रही है। चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश लगातार प्रथम स्थान में हैं। संभवतः पूरे देश में जितनी चीनी खर्चे में आती है उतनी अकेला उप्र पैदा करता है।