वित्त मंत्री ने कृषि श्रमिकों सहित किसानों की आत्महत्या की संख्या का खुलासा नहीं किया। किसानों का गुस्सा पूरी दुनिया ने देखा और तीन अन्यायपूर्ण कृषि कानूनों का विरोध किया। वित्त मंत्री ने किसानों की दुर्दशा के कारणों को भी स्वीकार नहीं किया।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने बजट को अमीरों के पक्ष में बताते हुए कहा है कि इसमें बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ नहीं हैं और रंग-बिरंगे शब्दों में सिर्फ खोखले दावे किए गये हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने गुरुवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरे बजट भाषण में किसानों के बारे में बात की, लेकिन किसान की नाखुशी को दूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गये हैं। वित्त मंत्री ने कृषि श्रमिकों सहित किसानों की आत्महत्या की संख्या का खुलासा नहीं किया। किसानों का गुस्सा पूरी दुनिया ने देखा और तीन अन्यायपूर्ण कृषि कानूनों का विरोध किया। वित्त मंत्री ने किसानों की दुर्दशा के कारणों को भी स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने कहा, “वित्त मंत्री ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की बात की लेकिन प्रति व्यक्ति आय के बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की बात की लेकिन उन्होंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक या बच्चों में बड़े पैमाने पर कुपोषण के कारण विकास में बाधा और कमज़ोरी के उच्च अनुपात के बारे में बात नहीं की। गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कोई नयी योजनाएं नहीं है और उनकी तकलीफ़ों को कम करने का कोई प्रयास नहीं हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी अंतरिम बजट केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल है। इसमें ठोस कुछ नहीं है। सिर्फ बड़े-बड़े और खोखले दावे हैं।”
खडगे ने सवाल किया, “पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए उनमें से कितने पूरे हुए, कितने बाक़ी हैं, सालाना दो करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आय दोगुनी करना, 2022 तक सभी को पक्का घर, 100 स्मार्ट सिटी, ये सभी वादें आज तक पूरे नहीं हुए। कृषि विकास दर 2014 में 4.6 प्रतिशत थी तो इस साल 1.8 प्रतिशत कैसे हो गई। संप्रग सरकार के दौरान हमारी खेती चार प्रतिशत औसत से बढ़ती थी, वो आधा क्यों हो गयी। क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट क्यों जारी है। पूरे बजट भाषण में जाॅब्स शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक क्यों हैं। बजट के भाषण में मनरेगा का नाम तक नहीं लिया, जिसके जरिए संप्रग सरकार 100 दिन का काम देती थी लेकिन अब केवल साल में 48 दिन रह गया है। जब से मोदी सरकार बनी है, तब से बस बड़े-बड़े सपने दिखाने का काम हो रहा है। नाम बदल-बदल कर योजनाएँ लॉन्च होती हैं। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि पुराने वादों का क्या हुआ।”
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम तथा पार्टी नेता गौरव गोगोई ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण, राष्ट्रपति के अभिभाषण तथा वित्त मंत्री के भाषण में पिछले तीन दिनों से वही संख्याएं तीन बार सामने आई हैं। प्रत्येक संख्या को अर्थशास्त्रियों और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा चुनौती दी गई है।
उन्होंने कहा, “वित्त मंत्री ने बजट भाषण में युवाओं के बारे में बात की लेकिन बेरोजगारी पर कुछ नहीं बोला। आंकड़े हैं कि 5-29 वर्ष की आयु के युवाओं में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत (ग्रामीण 8.3, शहरी 13.8) है। इसी तरह 25 वर्ष से कम आयु के स्नातकों में बेरोजगारी दर 42.3 प्रतिशत है। यहां तक कि जब स्नातक 30-34 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं, तब भी बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत होती है। वित्त मंत्री ने व्यापक स्तर पर फैली बेरोजगारी को स्वीकार ही नहीं किया है और इस पर एक शब्द भी नहीं कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करना चाहती है।”