पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर और रसूख रखने वाले राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के अलहदगी होने की अभी ऑफिशियल ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन इसके आसार काफी दिख रहे हैं यह इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि 19 जनवरी को ही लखनऊ में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करते हुए एलायंस को मजबूत करने और सपोर्टर्स को इलेक्शन के लिए तैयार होने की बात कही थी. अभी 20 दिन भी नहीं बीते हैं और जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की चर्चा की वजह क्या है ?
असल में वहीं से अलहदगी के बीज बोए गए. लखनऊ में इस बैठक के दौरान दोनों पार्टियों के कई बड़े नेता भी पहुंचे थे. इनमें से एक थे पूर्व सांसद और सपा महासचिव हरेंद्र मलिक. लखनऊ से लौटने के बाद उन्होंने मुजफ्फरनगर से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी और राजनीतिक गलियारों में यह बात फैल गई कि अखिलेश यादव ने उनका टिकट फाइनल कर लिया है और अभी घोषणा नहीं हुआ है. जाहिर है इस पर राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं में बेचैनी बढ़ गई और वे खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर करने लगे. पूर्व मंत्री योगराज सिंह समेत कुछ नेताओं ने मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई और दौरे शुरू कर दिए. यहां तक तो ठीक था लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब कहा गया कि हरेंद्र मलिक सपा के नहीं बल्कि लोकदल के सिंबल पर उम्मीदवार हो सकते हैं. यही गठबंधन में दरार की असली वजह बनी।