शाह अलर्ट

गरीब और मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए शिक्षा आधारित रोजगार ही एकमात्र उम्मीद होती है। मैंने देखा है कि हमारे मेहनती युवा कैसे कम संसाधनों में भी कठिन परिश्रम करके भविष्य को बनाने का अनथक प्रयास करते हैं। लेकिन वर्तमान में बेरोजगारी का अंधकार युवाओं की उम्मीदों, उनके सपनों और उनके भविष्य को निगल रहा है : राहुल गाँधी

कन्नौज, यूपी के बृजेश मात्र 25 साल के थे। अन्य छात्रों की तरह उनका भी जीवन किताबों, परीक्षाओं और नौकरी खोजने के इर्द-गिर्द घूमता था। वे अपनी मां और छोटी बहन के साथ छोटे से मकान में रहते थे। पिता घर से दूर दिल्ली में दिन-रात मेहनत करते थे ताकि बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके : राहुल गाँधी

फरवरी 2024 में यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए 50 लाख युवाओं ने फॉर्म भरा। बृजेश भी उनमें से एक थे। पेपर लीक की खबर सुनकर उनकी उम्मीदें टूट गईं। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री को आग लगा दी और फांसी लगाकर जान दे दी। सुसाइड नोट में उन्होंने माँ के लिए लिखा, ‘पापा का ख्याल रखना और उनसे बोलना हमारा तुम्हारा साथ इतना सा था।

कुछ ऐसी ही भयावह कहानी गुजरात के 23 वर्षीय हेमिल अश्विनभाई मंगूकिया और हैदराबाद के 31 वर्षीय मोहम्मद अफसान की है। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए वे रूसी सेना में सहायक के रूप में नौकरी करने गए और जिंदा वापस नहीं लौटे। मजबूर युवाओं को बिना सैन्य प्रशिक्षण के जंग में भेज गया और उन्होंने जान गंवा दी : राहुल गाँधी

दुनिया के सबसे युवा देश की यह हालत है कि बेरोजगारी और असुरक्षा से उपजी निराशा देश को कमजोर कर रही है। यह युवाओं को कर्ज के दलदल में धकेल रही है, गैरकानूनी काम करने को मजबूर कर रही है या फिर वे आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में छात्र आत्महत्या दर, जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री 8 करोड़ नई नौकरियां देने का दावा करके युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़कते हैं : राहुल गाँधी

मैं देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आत्महत्या कोई निवारण नहीं है। यह जीवन अनमोल है। निराशा में जान देने से बेहतर है कि बहादुर की तरह लड़ें और हालात व युवा विरोधी सरकार को बदल दें : राहुल गाँधी

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