इस्लामाबाद । इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सिफर मामले में गिरफ्तारी के बाद जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने आज आदेश सुनाया, जिसे उन्होंने दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद 16 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था।स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, पिछली सुनवाई के दौरान श्री खान के वकील सरदार लतीफ खोसा ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री की संघीय कैबिनेट ने सिफर को सार्वजनिक कर दिया था।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को संविधान के >अनुच्छेद 248 के अंतर्गत छूट प्राप्त है, जो राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, संघीय मंत्री, राज्य मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रांतीय मंत्री को उनके द्वारा किए गए या कथित रूप से किए गए कार्य के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।सुनवाई के दौरान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष बैरिस्टर सलमान सफदर के एक अन्य वकील ने दलील दिया कि सरकारी गोपनीयता कानून की धारा पांच सिफर मामले में लागू नहीं होती।
उन्होंने कहा कि यह धारा विदेशियों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए लगाई जा सकती है लेकिन पीटीआई प्रमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में यह मुख्य घटक गायब है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार,सरकारी गोपनीयता कानून के अंतर्गत गठित विशेष अदालत ने दोनों पार्टी नेताओं को दोषी ठहराया है और वे वर्तमान में अदियाला जेल में बंद हैं। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने 26 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई रोकने की इमरान खान की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था।