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नई दिल्ली। झारखंड में सत्ता तब्दीली की सुगबुगाहट के दरमियान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ कर दिया है कि वे इस्तीफा नहीं देने वाले हैं। झारखंड में ऐसी चर्चा चल रही थी कि मुख्यमंत्री पद से सोरेन इस्तीफा दे सकते हैं, उनकी जगह उनकी पत्नी या फिर किसी दूसरे नेता को वो पद दिया जा सकता है। 

लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी बैठक में कई विकल्पों पर मंथन किया है और मुख्यमंत्री के इस्तीफे देने की बात को खारिज कर दिया है।

जानकारी के लिए बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED ) ने झारखंड में अवैध खनन की जांच को लेकर मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार और अन्य लोगों के ठिकानों पर छापे मारे थे। 

इस मामले में हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED ) की छापेमारी हुई थी। अभिषेक प्रसाद के आवास और साहेबगंज उपायुक्त के आवास समेत 12 ठिकानों पर तलाशी हुई थी।

वैसे इससे पहले भी प्रवर्तन निदेशालय (ED ) के समन पर मुख्यमंत्री सोरेन ने पत्र के जरिए जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर ईडी निष्पक्ष जांच करेगी तो वे जरूर जांच में सहयोग करने वाले हैं। अब इस मामले में हेमंत सोरेन तो पिछले साल जुलाई में ही फंस गए थे। ये मामला अवैध खनन में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ था। सबसे पहले ईडी ने सीएम के ही करीबी माने जाने वाले पंकज मिश्रा के ठिकानों पर रेड मारी थी। बाद में उनकी तो गिरफ्तारी भी हो गई और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

अब उसी मामले में हेमंत सोरेन इसलिए फंस गए क्योंकि पंकज के घर पर दो चेक मिले थे जिन पर सोरेन के साइन थे। इसके अलावा पासबुक भी मिली थी जिस पर सोरेन का ही नाम लिखा हुआ था। उस वजह से की उनकी भूमिका को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे। सबसे बड़ा आरोप तो ये लगा है कि पंकज ने मुख्यमंत्री सोरेन के कहने पर ही करोडो़ं की हेराफेरी की थी।

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