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मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स टीम इवेंट में मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित किया है।
मनु भाकर ने रच दिया इतिहास, एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय, सरबजोत सिंह संग किया धमाका
मनु भाकर आज (30 जुलाई) को 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड इवेंट में अपने पार्टनर सरबजोत सिंह के साथ खेलने ब्रॉन्ज मेडल मैच में खेलने उतरीं. जहां उन्होंने सरबजोत सिंह 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. मनु भाकर किसी एक ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी है
दोनों की जोड़ी ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया. भारत के मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में ओह ये जिन और ली वोनहो की कोरियाई जोड़ी को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता. मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन गईं.
: टोक्यो में मिले दर्द के बाद शूटिंग छोड़ने जा रही थीं मनु, अब ऊपर वाले ने दी छप्पर फाड़ कामयाबी
Manu Bhaker Olympic Story : यह ओलंपिक में शूटिंग में टीम इवेंट में भी भारत का पहला पदक है। इससे पहले शूटिंग में सारे पदक व्यक्तिगत थे। 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांस्य, 2008 बीजिंग में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण, 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने कांस्य और विजय कुमार ने रजत पदक जीता था। इस ओलंपिक में मनु ने कांस्य पर कब्जा जमाया और अब टीम इवेंट में भी पदक आया है।
Shah Alert
भारत की 22 वर्षीय युवा शूटर मनु भाकर पेरिस ओलंपिक 2024 में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के बाद 10 मीटर एयर पिस्टल की मिश्रित टीम स्पर्धआ में कांस्य पदक जीता।
मिश्रित टीम में मनु के साथ सरबजोत सिंह रहे। मनु के लिए टोक्यो ओलंपिक से इस ओलंपिक में पदक जीतने तक का सफर आसान नहीं रहा है। इस दौरान वह डिप्रेशन से गुजरीं, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं गंवाया और जमकर मेहनत की और अब पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया है।
टोक्यो में खराब प्रदर्शन के बाद वह इस खेल को छोड़ने पर विचार कर रही थीं, लेकिन वो कहते हैं न कि ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है, मनु के साथ कुछ वैसा ही हुआ है।
भारतीय भी हैं। 1900 में नॉर्मन प्रिचर्ड ने ऐसा किया था, लेकिन वह भारत की आजादी से पहले था और प्रिचर्ड ब्रिटिश मूल के एथलीट थे। मनु को अब इतनी कामयाबी मिली है कि पिछले सभी गमों को उन्होंने भुला दिया है।
यह ओलंपिक में शूटिंग में टीम इवेंट में भी भारत का पहला पदक है। इससे पहले शूटिंग में सारे पदक व्यक्तिगत थे। 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांस्य, 2008 बीजिंग में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण, 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने कांस्य और विजय कुमार ने रजत पदक जीता था।
इस ओलंपिक में मनु ने कांस्य पर कब्जा जमाया और अब टीम इवेंट में भी पदक आया है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में क्या हुआ था?
मनु टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच सकीं थीं। यह बात सामने आई थी कि क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ गई थी। उनकी पिस्टल ने ऐन मौके पर उन्हें धोखा दिया था।
मनु क्वालिफिकेशन राउंड में 575 अंक लेकर 12वें स्थान पर रहीं थीं। मनु को पिस्टल में खराबी की वजह से पांच मिनट इंतजार भी करना पड़ा था। मनु के पिता रामकिशन भाकर और नेशनल राइफल संघ के अधिकारी ने भी मनु की पिस्टल में तकनीकी खराबी की बात स्वीकार की थी।
मनु ने तब क्वालिफिकेशन राउंड में 98 पॉइंट हासिल किए थे। दूसरे राउंड में उनकी पिस्टल में खराबी आ गई। इसके बाद वह टारगेट छोड़कर बाहर आईं और करीब पांच मिनट बाद उनकी पिस्टल ठीक हुई। उन्होंने दूसरे राउंड में 95, तीसरे में 94, चौथे 95, पांचवें में 98 और छठे राउंड में 95 अंक अर्जित किए। वह फाइनल में पहुंचने से दो अंक पीछे रह गईं थीं। इसके बाद मनु को रोते हुए देखा गया था। वह भावुक हो गई थीं।
टोक्यो में मिले दर्द के बाद शूटिंग छोड़ने जा रही थीं मनु, अब ऊपर वाले ने दी छप्पर फाड़ कामयाबी.
Manu Bhaker Olympic Story : यह ओलंपिक में शूटिंग में टीम इवेंट में भी भारत का पहला पदक है। इससे पहले शूटिंग में सारे पदक व्यक्तिगत थे। 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांस्य, 2008 बीजिंग में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण, 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने कांस्य और विजय कुमार ने रजत पदक जीता था। इस ओलंपिक में मनु ने कांस्य पर कब्जा जमाया और अब टीम इवेंट में भी पदक आया है।
खेल फटाफट: पढ़ें सभी खबरें 60s में
Manu Bhaker Two Bronze Medal at Paris Olympics 2024 Know About Comeback of Manu Bhaker After Tokyo Olympic
भारत की 22 वर्षीय युवा शूटर मनु भाकर पेरिस ओलंपिक 2024 में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के बाद 10 मीटर एयर पिस्टल की मिश्रित टीम स्पर्धआ में कांस्य पदक जीता।
मिश्रित टीम में मनु के साथ सरबजोत सिंह रहे। मनु के लिए टोक्यो ओलंपिक से इस ओलंपिक में पदक जीतने तक का सफर आसान नहीं रहा है। इस दौरान वह डिप्रेशन से गुजरीं, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं गंवाया और जमकर मेहनत की और अब पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया है।
टोक्यो में खराब प्रदर्शन के बाद वह इस खेल को छोड़ने पर विचार कर रही थीं, लेकिन वो कहते हैं न कि ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है, मनु के साथ कुछ वैसा ही हुआ है।
मनु ओलंपिक शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी हैं। वहीं, वह एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं।
1900 में नॉर्मन प्रिचर्ड ने ऐसा किया था, लेकिन वह भारत की आजादी से पहले था और प्रिचर्ड ब्रिटिश मूल के एथलीट थे। मनु को अब इतनी कामयाबी मिली है कि पिछले सभी गमों को उन्होंने भुला दिया है।
यह ओलंपिक में शूटिंग में टीम इवेंट में भी भारत का पहला पदक है। इससे पहले शूटिंग में सारे पदक व्यक्तिगत थे। 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांस्य, 2008 बीजिंग में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण, 2012 लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने कांस्य और विजय कुमार ने रजत पदक जीता था। इस ओलंपिक में मनु ने कांस्य पर कब्जा जमाया और अब टीम इवेंट में भी पदक आया है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में क्या हुआ था?
मनु टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंच सकीं थीं। यह बात सामने आई थी कि क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ गई थी। उनकी पिस्टल ने ऐन मौके पर उन्हें धोखा दिया था।
मनु क्वालिफिकेशन राउंड में 575 अंक लेकर 12वें स्थान पर रहीं थीं। मनु को पिस्टल में खराबी की वजह से पांच मिनट इंतजार भी करना पड़ा था। मनु के पिता रामकिशन भाकर और नेशनल राइफल संघ के अधिकारी ने भी मनु की पिस्टल में तकनीकी खराबी की बात स्वीकार की थी।
मनु ने तब क्वालिफिकेशन राउंड में 98 पॉइंट हासिल किए थे। दूसरे राउंड में उनकी पिस्टल में खराबी आ गई। इसके बाद वह टारगेट छोड़कर बाहर आईं और करीब पांच मिनट बाद उनकी पिस्टल ठीक हुई। उन्होंने दूसरे राउंड में 95, तीसरे में 94, चौथे 95, पांचवें में 98 और छठे राउंड में 95 अंक अर्जित किए। वह फाइनल में पहुंचने से दो अंक पीछे रह गईं थीं। इसके बाद मनु को रोते हुए देखा गया था। वह भावुक हो गई थीं
इस पूरे घटनाक्रम पर मनु भाकर ने अमर उजाला से भी बातचीत की थी। इस फरवरी में अमर उजाला संवाद के दौरान मनु भाकर ने उस घटना और इस हार से अपने उबरने की कहानी बताई थी। मनु ने कहा, ‘टोक्यो ओलंपिक के बाद मैं दो महीने डिप्रेस थी। मैं जानती थी कि मैं जहां सिल्वर-ब्रॉन्ज नहीं, बल्कि गोल्ड जीत सकती हूं, लेकिन वहां पिस्टल की वजह से मैं चूक गई। लेकिन लाइफ वहां खत्म थोड़ी हो गई। मैंने सोचा कि मैं फिर से वो मोमेंट क्रिएट कर लूंगी। ओलंपिक के बाद एक महीने तक शूटिंग को देखा तक नहीं था। कहना यह चाहती हूं कि अगर कभी कामयाबी न मिले तो इसको सोचकर हार नहीं मान लेनी चाहिए। आपको ये सोचना चाहिए कि मैं आगे भी कर सकती हूं। आपके लिए लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी होती है आपकी खुशी। अगर आप हार के बाद भी खुश होने की क्षमता रखते हैं तो आप वो मोमेंट आगे चलकर भी दोहरा सकते हैं।’ अब मनु ने इस बात को सच कर दिखाया है। उन्होंने उस मोमेंट को फिर से बनाया और अब उसे जी रही हैं।
बोल्ट की आत्मकथा पढ़कर प्रेरित हुईं मनु भाकर
मनु भाकर ने अमर उजाला से बताया था कि वह उसेन बोल्ट को देखकर और उनकी बायोग्रफी पढ़कर प्रेरित हुई हैं। मनु ने किसी हार से उबरने का तरीका बताते हुए कहा था- आप सभी को बायोग्रफी पढ़नी चाहिए। मैं अभी उसेन बोल्ट की बुक पढ़ रही हूं। मैंने देखा है कि उन्हें हार कर जितनी प्रेरणी मिलती है वह उन्हें जीत से नहीं मिलती। हारने की प्रेरणा बहुत मजबूत होती है। बोल्ट कितनी बार हारे, लेकिन उन्होंने उससे प्रेरणा ली और आज देखिए कोई ऐसी प्रतियोगिता नहीं जिसने उन्होंने नहीं जीती हो। मनु ने अमर उजाला से कहा था, ‘ओलंपिक की जब बात आती है तो पूरा देश इकट्ठा हो जाता है। टोक्यो ओलंपिक मेरा पहला था। मैंने उस तरह का दबाव कभी नहीं झेला था। मैं बहुत ज्यादा नर्वस थी। हालांकि, पेरिस ओलंपिक के लिए मैं मेंटल ट्रेनिंग और योगा कर रही हूं। जो पिछली बार परेशानी हुई थी वो परेशानी इस बार न हो। उसकी पूरी तैयारी कर रही हूं। उम्मीद है कि इस बार आपकी आशाओं के साथ मैं तिरंगा लहरा सकूं।’ मनु ने जो कहा वो कर दिखाया है और उन्होंने पेरिस में तिरंगा लहराया है।
मनु भाकर ने एक ही ओलंपिंक में दो मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। मनु भाकर और सरबजोत सिंह, पूरे देश को आप दोनों पर गर्व है।