देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में आयोजित दो दिवसीय 49वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस (एआईपीएससी) का रविवार को समापन हो गया। इस कांग्रेस में अत्याधुनिक तकनीक से अपराधों पर नियंत्रण के संदर्भ में मंथन हुआ।वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) परिसर स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) सभागार में आयोजित समापन समारोह के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि इस कांग्रेस में सामुदायिक पुलिसिंग, संगठित अपराध, नार्कोटिक्स, साईबर सुरक्षा की चुनौतियाँ, प्रभावी सीमा प्रबंधन, भीड़ हिंसा, पुलिस और सीएपीएफ के मध्य समन्वय, जेल प्रबन्धन तथा वीआईपी सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषयों पर गहनतापूर्वक हुई चर्चा, निश्चित रूप से प्रशंसनीय है।श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान में बदलते परिदृश्य में पुलिस को अपने इंटेलिजेंस तंत्र को और अधिक मजबूत करना होगा। वर्तमान समय में अपराधी, अपराध करने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं, उनसे एक कदम आगे बढ़कर अपने आप को तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक पुलिसिंग के लिए साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए पुलिस बलों को साइबर मॉनिटरिंग से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता विकास और उन्नयन की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस बल को तकनीकी के साथ-साथ सक्षम माध्यमों से सुसज्जित रहने की आवश्यकता है ताकि अपराधियों से निपटा जा सके।राज्यपाल ने कहा कि पुलिस का कार्य वास्तव में चुनौतीपूर्ण है, लेकिन अपनी कार्यकुशलता और सूझबूझ से पुलिस के प्रति लोगों के मध्य बनी गलत धारणाओं को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। पुलिस के अच्छे कार्यों को जनमानस तक पहुंचाना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल के इस दौर में विकसित भारत एवं विश्वगुरू भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पुलिस बलों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस पुलिस विज्ञान कांग्रेस में किये गए चिंतन, मनन और चर्चाओं से पुलिसिंग तथा आंतरिक सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त होंगे।समारोह के विशिष्ट अतिथि और राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधू ने कहा कि हमें आधुनिक तकनीकों को अपनाना जरूरी है। बिना आधुनिक तकनीकों के हमारा अस्तित्व नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के 25 सालों में विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विकसित देशों की पुलिसिंग द्वारा अपनायी जाने वाली तकनीकों और हमारी तकनीकों के गैप को कम से कम या खत्म करना होगा। उन्होंने देश के अग्रणी शैक्षिक संस्थाओं के साथ मिलकर पुलिस आधुनिकरण हेतु विशेष कार्य योजना बनाए जाने की जरूरत बतायी।महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, बालाजी श्रीवास्तव ने पुलिस कांग्रेस में दो दिवसीय चर्चाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। मेजबान राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के आईजी रवि जोसेफ लोक्कू सहित विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।इससे पूर्व, कांग्रेस के दूसरे दिन के सांतवें सत्र में सामुदायिक पुलिसिंग पर हुई चर्चा में सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक केबी देवराजन ने समाज एवं पुलिस के बीच समन्वय बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों, सीनियर सीटिजन, महिलाओं, युवाओं, किशोरों एवं छात्रों के लिए अलग-अलग सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उन्होंने वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, सीमावर्ती क्षेत्रों, महिलाओं एवं प्रवासी मजदूरों के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से प्रस्ततिकरण दिया।सेनानाएक, 19वीं बटालियन, छत्तिसगाह सशस्त्र बल ,(सीएएफ), करनापुर, मोहित गर्ग ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रमों की महत्ता बताते हुए इनके लाभ बताए। निदेशक, स्कूल ऑफ राष्ट्रीय सुरक्षा एण्ड लॉ डा डिम्पल रावल ने गुजरात कम्यूनिटी पुलिसिंग एवं महिला सुरक्षा के लिए पुलिस की भूमिका पर वक्तव्य दिया। पुलिस एवं सरकार के द्वारा चलाये जा रहे नारी गौरव नीति, नारी अदालत, वन स्टॉप सेंटर- सखी, सुरक्षा सेतु स्कीम के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।सत्र में विगत वर्ष आयोजित हुई 48वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के एटीआर अनुपालन रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। अंत में सदन द्वारा सम्बन्धित विषय पर खुली चर्चा हुई और 49वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस के नये संकल्प पारित किये गये। यह संकल्प पुलिसिंग के लिये मार्गदर्शक बिन्दु होंगे