शाह अलर्ट

शिमला । हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (डब्ल्यूडी) कमजोर हो रहा है जिससे नए साल पर बर्फबारी की आसार ना होने के बराबर हो गई है।


शनिवार सुबह मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के ताजा बुलेटिन के अनुसार 31 दिसंबर को ही प्रदेश के ऊंचाई वाले आधे स्थानों पर हल्की बर्फबारी हो सकती है। बाकी हिस्सों में धूप रहेगी।
तीन दिन पहले मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में 31 दिसंबर और एक जनवरी यानी 72 घंटे तक बर्फबारी की आशंका जताई थी लेकिन, अब इसमें बदलाव आ गया है।


मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ.सुरेंद्र पाल ने बताया कि डब्ल्यूडी के कमजोर होने से बर्फबारी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि 8-10 जनवरी तक पहाड़ों पर बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। कुमकुसरी में न्यूनतम तापमान माइनस 8.9 डिग्री सेल्सियस रहा।


पिछले 24 घंटों के दौरान ज्यादातर शहरों का तापमान दो से तीन डिग्री तक गिर गया है। डलहौजी के न्यूनतम तापमान में सबसे ज्यादा 5.2 डिग्री और शिमला के तापमान में 2.4 डिग्री की गिरावट आई है। शिमला का पारा अब 5 डिग्री और डलहौजी का 5.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। रिकागपिओ -1.7 और सोलन में 3.0 डिग्री रहा।


वहीं, कल्पा का न्यूनतम तापमान अभी भी सामान्य से -1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है। आमतौर पर दिसंबर के आखिरी सप्ताह में कल्पा का तापमान माइनस में रहता है, लेकिन यह एक डिग्री दर्ज किया गया।


यह प्रदेश के पर्यटन उद्योग, 5500 करोड़ रुपये से अधिक के सेब उद्योग और कृषि के लिए खतरनाक संकेत है। बर्फबारी पर्यटन, बागवानी और कृषि के लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है। बर्फबारी न होने का मतलब है करोड़ों का नुकसान। पिछले साल सर्दियों में रिकॉर्ड तोड़ सूखे और बारिश से हिमाचल पहले ही भारी तबाही झेल चुका है। अब इस साल सर्दी की शुरुआत अच्छी नहीं हुई।


देशभर से हजारों पर्यटक बर्फ देखने के लिए पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं। खासकर मौसम विभाग के तीन-चार दिन पहले के पूर्वानुमान से पर्यटकों को नए साल पर बर्फबारी की उम्मीद जगी थी।
आमतौर पर दिसंबर के आखिरी सप्ताह में शिमला, मनाली, मंडी, धर्मशाला, चंबा, किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों की ऊंची चोटियां बर्फ से ढक जाती हैं। लेकिन इस साल लाहौल स्पीति के कुछ इलाकों को छोड़कर कहीं भी बर्फ नहीं गिरी है।


यही कारण है कि इस बार ज्यादातर पर्यटक बर्फ देखने के लिए लाहौल स्पीति के सिस्सू, कोक्कर और रोहतांग पहुंच रहे हैं लेकिन, वहां भी बहुत कम बर्फ बची है। रोजाना धूप निकलने से बर्फ तेजी से पिघल रही है। यदि बर्फबारी नहीं होगी तो ग्लेशियर रिचार्ज नहीं हो पाएंगे। इसका असर हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान पर भी पड़ेगा, क्योंकि इन राज्यों की खेती हिमाचल से आने वाले पानी पर निर्भर है। गर्मियों के दौरान नदियों में पानी ग्लेशियर के पिघलने से आता है।

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